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कौन है?-

आरव ने उठते ही किसी ऑटो वाले का संपर्क किया और सबसे पहला काम इंस्पेक्टर ठकराल को शहर के बड़े हॉस्पिटल पहुँचाने का किया। इंस्पेक्टर ठकराल की वाइफ को जितना हो सके जल्दी हॉस्पिटल पहुँचने का बोलकर आरव वहाँ से निकल गया। क्योंकि अपने घर वालों से मिल लेने के बाद तुरंत उसे वापस निर्मोही से मिलना था। वह पूरी रात घर से गायब था तो मम्मी पापा भी परेशान होंगे। उसके मम्मी पापा ने उसका कांटेक्ट करने की कोशिश की होगी। लेकिन बैटरी उतरने के बाद उसका फोन बंद हो चुका था। एक रात में कितनी घटनाएं घटी थी। ऐसी मनहूस रात आरव ने आज से पहले कभी नहीं देखी। आरव अपने घर पहुँचा तो घर वाले सब उसका ही इंतजार कर रहे थे। उसे देखते ही मां नकली गुस्सा दिखाती हुई उस पर बरस पडी।  "कहां था तू पूरी रात? बताकर भी नहीं गया। कम से कम एक कॉल तो कर लेना चाहिए था? पापा और मैं पूरी रात तेरी चिंता करते रहे। कम से कम अपना फोन तो चार्ज रखा कर। अपने जिम्मेदार बेटे से हम ऐसी उम्मीद नहीं कर सकते बेटा।" "सॉरी ममा--डैड! हालात ही कुछ ऐसे थे। निर्मोही को अपने घर पर छोड़ कर लौट रहा था तो रास्ते में मुझे इस्पेक्टर ठकराल जख्मी हालत में मिले। उन्हे वहाँ से अपने दोस्त मोहन के घर लेकर गया। सुबह उठकर सबसे पहले उन्हें हॉस्पिटल पहुँचाया। वह काफी जख्मी थे---और उनका मानसिक संतुलन ठीक नहीं था। भाग-दौड़ में मेरा मोबाइल कब डिस्चार्ज हो गया पता ही नही चला।" "मैं कब से तेरी मां को यही समझाने की कोशिश कर रहा था।" आरव के पिता मौका मिलते ही बोल उठे, "मगर मेरी बात तो माननी नहीं है। कितनी बार कहा कि तेरा बेटा अब छोटा बच्चा नहीं है जो तुम इतनी चिंता करती हो। जरूर कोई काम में उलझ गया होगा।" "तुम चुप रहो मुझसे ज्यादा तो आपका ब्लडप्रेशर बढ़ रहा था। पूरी रात बेडरूम में चक्कर लगाए हैं मुझे नहीं पता क्या? अपनी आँखें देखी आईने में? नींद न मिलने के कारण सूज चुकी है।" आरव के पिता ने अपना मुंह फेर लिया। "सॉरी पापा, आई एम रियली सॉरी। मैं जानता हूँ आप दोनों कि जिंदगी मुझ से शुरू होकर मुझ पर ही खत्म होती है। अपनी गलती के लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूँ वादा करता हूँ आगे से ऐसी बेवकूफी मुझसे कभी नहीं होगी।" कहते हुए आरव ने अपने माता पिता को बारी बारी से गले लगाया। "हम बहुत डर गए थे मेरे बच्चे।" आरव की मां भीगी हुई आवाज में बोली थी। "आगे से कभी ऐसा दोबारा न हो ध्यान रखना।"

'अब ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी ममा! आप बेफिक्र रहो।"

"ठीक है चलो आओ, मैं नाश्ता लगाती हूं।" हुकम देकर आरव की मां नाश्ता लगाने के इरादे से तेजी से किचन में चली गई। आरव का दिमाग निर्मोही को जो बातें बतानी थी उसके बारे में सोच रहा था। निर्मोही को पुराने महल की सच्चाई बतानी जरूरी थी। मोहन के पिता ने कहा था कि उन्होंने ऐसे कई लोग देखे हैं जो भयानक सपनों से परेशान है। उनका कहना था कि वे सभी लोग जो भयानक सपने देखते आए हैं उनके पूर्वज नदी के उस पार वाले शहर में कभी बसते थे जो शहर आज पूरी तरह उजड़ा चुका है। पुराने मकान खंडहरों में तब्दील हो चुके हैं। जहाँ आज गीध चमगादड़ और मधुमक्खियों का डेरा लगता है। आरव को चुपचाप नाश्ता करता देखकर उसके पिता ने पूछा। "बेटा, इंस्पेक्टर ठकराल की हालत ज्यादा खराब है क्या? आखिर उन्हें हुआ क्या था?" "कुछ भी कह नहीं सकते पिताजी लोग कहते हैं फार्म हाउस वाले रास्ते पर रात को 1:00 बजे के बाद गुजरना खतरे से खाली नहीं है। पहले तो मैं भी लोगों की बातों पर भरोसा नहीं करता था लेकिन ठकराल की हालत देखने के बाद मुझे लगता है उन्होंने जरूर कोई ऐसा खौफनाक मंजर देखा है जिसे अभी तक उनका दिमाग हजम नहीं कर पाया है।" "जो भी हो तू अपना ख्याल रखना मेरे बच्चे।" आरव के पिता चिंतित होकर बोल उठे। "हो सकता है इंस्पेक्टर ठकराल पर किसी शैतान का साया हो! उनसे कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर हुई है।" "मुझे भी यही लगता है। फिलहाल अभी भी हॉस्पिटल में है उनके जख्मों के बारे में डॉक्टरों का क्या कहना है पता लगाना पड़ेगा।" आरव फटाफट नहा धोकर फ्रेश हो गया। अपने सारे दैनिक क्रम निपटा कर वह मम्मी पापा की इजाजत लेकर निर्मोही से मिलने निकल पड़ा। अभी निर्मोही के डरावने सपनों के बारे में मम्मी पापा को बताना उसे वाजिब नहीं लगा था। आरव तब तक इस बात को छुपाये रखना चाहता था जब तक निर्मोही के सपनों के पीछे छुपी गहरी सच्चाई का पता नहीं लगा लेता। उसने अपनी बाइक को निर्मोही के घर की ओर भगाया। राज की बात यह थी कि 'पुराने महल में तहखाने का दरवाजा किसी ने खोल तो नहीं होगा' यह पता लगाना बहुत जरूरी हो गया था। क्योंकि मोहन के पिता जी का कहना था कि अगर ऐसा हुआ है तो मौत का सैलाब आएगा। कोई उन शैतानी रूहों को नियंत्रित नही कर पायेगा---सिवाय एक इन्सान के। और हम ऐसे हालात में उस इन्सान को कहाँ ढूँढेगे? जो शाप बरसों से कैद होकर पुराने महल के तहखाने में बंद है उसे किसी ने खोल दिया है तो मरेंगे सब। निर्मोही से मिलने के बाद आरव पुराने महल जाना चाहता था। हाल ही में घट रही असाधारण घटनाओं को जानने का वही एक जरिया था। दिन के उजाले में आरव को निर्मोही के घर पहुँचने में केवल आधा घंटा लगा। निर्मोही आरव का बेसब्री से इंतजार कर रहे थी। "सब ठीक तो है!" निर्मोही ने आरव से पूछा। "हाँ, वैसे तो सब ठीक है लेकिन एक रात में बहुत सारी घटनाएं घटी है। सुनोगी तो हैरान रह जाओगी।" आरव ने निर्मोही के पास एक सोफे पर बैठते हुए कहा, "तुमने कुछ बातें मुझे रात को बताई थी तभी मैं समझ गई थी कि आज की रात कयामत की रात है।" आरव ने फिर एक के बाद एक करके सारी बातें निर्मोही को बताई। मार्गरेटा और मारिया के बारे में सुनकर निर्मोही काफी परेशान हो उठी थी।


(क्रमशः)

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3 Comments

Varsha_Upadhyay

30-Sep-2023 10:45 PM

Nice one

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madhura

27-Sep-2023 10:12 AM

Amazing

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Gunjan Kamal

27-Sep-2023 09:12 AM

👏👌

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